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urdu shayari |
फ़िदा हूँ आपकी किस किस अदा पर ,
अदाएं लाख और बेताब दिल एक ....!!
हम ख़ुशबू जैसे लोग है,
बस बिखरे-बिखरे रहते हैं.
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्ज़ुब कैसा
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है।
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना
भी धुंधला दिखता है।।
मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है,
उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया...
बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर,
पर ख़ुशी हमेशा पागल बनने पर ही मिली है...!!!
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन ---
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न
दोस्त बदले .!!
जो तुम बोलो बिखर जाएँ जो तुम चाहो संवर जायें,
मगर यूँ टूटना जुड़ना बहुत तकलीफ देता है...
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता
जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर
हौसला रखो
सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंग
मेरे पीठ पर जो जख्म है
वो अपनों की निशानी हैं,
वरना सीना तो आज भी दुश्मनो के
इंतजार मे बैठा है...
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,
लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया..
क्या मिलना ऐसे लोगो से जिनकी फितरत छुपी रहे,
नकली चेहरा सामने आये और असली सूरत छुपी रहे...
शीशे के घरों में देखो तो पत्थर दिल वाले बसते हैं,
जो प्यार को खेल समझते हैं और तोड़ के दिल को हँसते हैं..
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल
रखना,
हम 'जान' तो दे देते हैं मगर 'जाने' नहीं देते...
टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी,
मेरी साँसों ने हर पर उसकी ख़ुशी मांगी..
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से,
के मैंने आखिरी ख्वाहिश में
भी उसकी वफ़ा मांगी..
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