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dard shayari |
रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है;
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है;
हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू;
ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।
अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने दे;
तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे;
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको;
सोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे।
वक्त नूर को बेनूर कर देता है;
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है;
कौन चाहता है अपनों से दूर होना;
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है।
इसी से जान गया मैं कि वक़्त ढलने लगे;
मैं थक के छाँव में बैठा और पाँव चलने लगे;
मैं दे रहा था सहारे तो एक हजूम में था;
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगे।
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये;
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये;
कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें;
और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;
बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में;
और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता।
एक अजीब सा मंजर नज़र आता है;
हर एक आँसूं समंदर नज़र आता है;
कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना;
हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता है।
जो आँसू दिल में गिरते हैं वो आँखों में नहीं रहते;
बहुत से हर्फ़ ऐसे होते हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते;
किताबों में लिखे जाते हैं दुनिया भर के अफ़साने;
मगर जिन में हकीकत हो किताबों में नहीं रहते।
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने;
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने;
हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो;
अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
जाये है जी नजात के ग़म में;
ऐसी जन्नत गयी जहन्नुम में;
आप में हम नहीं तो क्या है अज़ब;
दूर उससे रहा है क्या हम में;
बेखुदी पर न 'मीर' की जाओ;
तुमने देखा है और आलम में।
वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है;
ज़ख़्म दिल का ज़ुबाँ पर आया है;
न रोते थे कभी काँटों की चुभन से;
आज न जाने क्यों फूलों की खुशबू से रोना आया है।
दिल मेरा जो अगर रोया न होता;
हमने भी आँखों को भिगोया न होता;
दो पल की हँसी में छुपा लेता ग़मों को;
ख़्वाब की हक़ीक़त को जो संजोया नहीं होता।
मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप में;
मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप में;
घुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुत;
मैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप में।
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ;
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ;
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश;
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
वो रात दर्द और सितम की रात होगी;
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी;
उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर;
कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।
इस बहते दर्द को मत रोको;
यह तो सज़ा है किसी के इंतज़ार की;
लोग इन्हे आँसू कहे या दीवानगी;
पर यह तो निशानी है किसी के प्यार की।
बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी;
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी;
मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ;
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
मेरे दिल में न आओ वरना डूब जाओगे;
ग़म-ए-अश्कों के सिवा कुछ भी नहीं अंदर;
अगर एक बार रिसने लगा जो पानी;
तो कम पड़ जायेगा भरने के लिए समंदर।
खुश रहे तू है जहाँ, ले जा दुआएं मेरी;
तेरी राहों से जुदा हो गयी हैं राहें मेरी;
कुछ नहीं पास मेरे अब खाली हाथ हैं;
किसी और की नहीं सब खतायें हैं मेरी।
जमीन छुपाने के लिए गगन होता है;
दिल छुपाने के लिए बदन होता है;
शायद मरने के बाद भी छुपाये जाते हैं गम;
इसीलिए हर लाश पे कफ़न होता है।
ऐ दिल मत कर इतनी मोहब्बत किसी से;
इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा;
एक दिन टूट कर बिखर जायेगा अपनों के हाथों से;
किसने तोडा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा।
वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं;
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं;
जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को;
कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं।
तुम्हारा दुःख हम सह नहीं सकते;
भरी महफ़िल में कुछ कह नहीं सकते;
हमारे गिरते हुए आँसुओं को पढ़ कर देखो;
वो भी कहते हैं कि हम आपके बिन रह नहीं सकते।
ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका;
मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका;
ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया;
ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।
उम्र की राह में रास्ते बदल जाते हैं;
वक़्त की आंधी में इंसान बदल जाते हैं;
सोचते हैं तुम्हें इतना याद ना करें लेकिन;
आँख बंद करते ही इरादे बदल जाते हैं।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे;
हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे;
हमें ही मिल गया बेवफ़ा का ख़िताब क्योंकि;
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे।
माना कि तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा;
मगर रोने से ये ग़म कभी कम न होगा;
जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम;
अगर मोहब्बत में हमारी दम होगा।
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा;
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा;
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई;
दिल-ए-मुंतज़िर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।
तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठा;
मैं तो ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठा;
अब जीने की तमन्ना न रही बाकी;
सारे अरमान मैं अपने दफना बैठा।
पा लिया था दुनिया की सबसे हसीन को;
इस बात का तो हमें कभी गुरूर न था;
वो रह पाते पास कुछ दिन और हमारे;
शायद यह हमारे नसीब को मंज़ूर नहीं था।
हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए;
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी;
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे;
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे;
उनसे क्या गिला करें, भूल तो हमारी थी;
जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे।
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से;
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से;
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से;
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।
तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठे;
हम ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठे;
अब जीने की तमन्ना भी नहीं बाकी;
सारे अरमान हम अपने दफना बैठे।
हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए;
अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए;
हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी;
प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।
दुनिया में किसी से कभी प्यार मत करना;
अपने अनमोल आँसू इस तरह बेकार मत करना;
कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं;
फूलों पर कभी इस तरह तुम ऐतबार मत करना।
खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे;
दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे;
तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे;
सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।
आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा है;
तेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा है;
फिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकर;
शायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं।
एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए;
कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए;
उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था;
वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में;
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है;
टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है;
किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो;
अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है।
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है;
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है;
हम तन्हाई में बैठे रोते हैं;
लोगों ने हमें महफ़िल में हँसते देखा है।
उसे कह दो वो मेरा है किसी और का हो नहीं सकता;
बहुत नायाब है मेरे लिए वो कोई और उस जैसा हो नहीं सकता;
तुम्हारे साथ जो गुज़ारे वो मौसम याद आते हैं;
तुम्हारे बाद कोई मौसम सुहाना हो नहीं सकता।
महफ़िल भी रोयेगी, महफ़िल में हर शख्स भी रोयेगा;
डूबी जो मेरी कश्ती तो चुपके से साहिल भी रोयेगा;
इतना प्यार बिखेर देंगे हम इस दुनिया में कि;
मेरी मौत पे मेरा क़ातिल भी रोयेगा।
अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ;
इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ;
यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की;
वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।
लोगों से कह दो हमारी तक़दीर से जलना छोड़ दें;
हम घर से खुदा की दुआ लेकर निकलते हैं;
कोई न दे हमें खुश रहने की दुआ तो भी कोई बात नहीं;
वैसे भी हमें खुशियां रास नहीं अक्सर इस वजह से लोग छूट जाते हैं।
कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का;
वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का;
उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि;
उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं;
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं;
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं;
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं।
वो जज़्बों की तिजारत थी, यह दिल कुछ और समझा था;
उसे हँसने की आदत थी, यह दिल कुछ और समझा था;
मुझे देख कर अक्सर वो निगाहें फेर लेते थे;
वो दर-ए-पर्दा हकारत थी, यह दिल कुछ और समझा था।
मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;
तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
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